हमारे देश में कुछ ऐसे कानून हैं जिनका à¤

free voting

राजनीतिक दलों द्वारा अब खुले आम वोट खरीदे जाने लगे है। हाल ही में तमिलनाडू में एक पार्टी द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त बिजली, मुफ्त लेपटाप, मुफ्त सोना, मुफ्त मोबाइल तथा 40000 करोड कृषि ऋण माफ, आदि की सौगात दी और सत्ता प्राप्त कर ली। क्या यह परोक्ष अपरोक्ष रुप से वोट खरीदने के समान नही हुआ। इतने बडे खर्चे की भरपाई व्यापारिक वर्ग ही करेगा तथा और ज्यादा टैक्स देगा।

क्या भारत की वास्तविक तरक्की लोगों को फ्री की आदत डालने से होगी?

इंडियन बिजनेस पार्टी इस प्रकार की राजनीति की घोर आलोचना करती है।

अपनी राय दें क्योंकि आप की राय देश के लिए महत्वपूर्ण है। 

सदस्यता के लिए यहां सम्पर्क करें

IBP